Khabar Bharat KiAugust 10, 20251min2100

पुतिन-ट्रम्प 15 अगस्त को अलास्का में मिलेंगे:रूस ने 158 साल पहले अमेरिका को ₹45 करोड़ में बेचा, ये राजस्थान से 5 गुना ज्यादा बड़ा

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पुतिन-ट्रम्प 15 अगस्त को अलास्का में मिलेंगे:रूस ने 158 साल पहले अमेरिका को ₹45 करोड़ में बेचा, ये राजस्थान से 5 गुना ज्यादा बड़ा…

 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने पर चर्चा के लिए 15 अगस्त, 2025 को अलास्का में मिलने वाले हैं। अलास्का, जिसे 1867 में

रूस से 7.2 मिलियन डॉलर (उस समय लगभग ₹45 करोड़) में खरीदा गया था, राजस्थान से लगभग पाँच गुना बड़ा है, जिसका क्षेत्रफल 1.7 मिलियन वर्ग किलोमीटर है, जबकि राजस्थान का क्षेत्रफल

342,239 वर्ग किलोमीटर है। शिखर सम्मेलन का स्थान अलास्का के ऐतिहासिक रूसी संबंधों और बेरिंग जलडमरूमध्य के पार रूस से इसकी निकटता के कारण प्रतीकात्मक है।

ट्रम्प और पुतिन की मुलाकात होती है तो यह पहली बार होगा जब दोनों नेता अमेरिका की जमीन पर मिलेंगे। रूस ने पहले पुतिन और ट्रम्प की मुलाकात के लिए UAE का सुझाव दिया था। हालांकि बाद में ट्रम्प ने बैठक के लिए अलास्का को चुना।

अलास्का उत्तरी ध्रुव के नजदीक कनाडा से सटी वो जगह है जो कभी रूस का हिस्सा हुआ करती थी। 158 साल पहले रूस ने इसे अमेरिका को सिर्फ 45 करोड़ रुपए में बेच दिया था।

Russia’s President Vladimir Putin and U.S. President Donald Trump talk during a bilateral meeting at the G20 leaders summit in Osaka, Japan, June 28, 2019. REUTERS/Kevin Lamarque/File Photo

अलास्का के नजदीक रूसी परमाणु हथियार भंडार

अलास्का रूस से सिर्फ 88 किलोमीटर दूर है। रिपोर्ट्स के मुताबिक पुतिन का यहां पर मिलना ज्यादा मुफीद हो सकता है।अलास्का से रूस के सबसे नजदीकी मिलिट्री बेस करीब 80 से 100 किलोमीटर की दूरी पर हैं। ये बेस रूस के चुक्चा स्वायत्त क्षेत्र में स्थित हैं, जो बेरिंग स्ट्रेट के पार है।इस क्षेत्र में रूस के कुछ एयरफोर्स बेस और सैन्य निगरानी स्टेशन हैं, जहां परमाणु हथियार भी हो सकते हैं।

 

राजस्थान से 5 गुना ज्यादा बड़ा अलास्का

अलास्का का क्षेत्रफल लगभग 1,717,856 वर्ग किमी है जो कि भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान (342,239 वर्ग किमी) से 5 गुना ज्यादा बड़ा है। अलास्का को कभी रूस का स्वर्ग कहा जाता था लेकिन अब यह अमेरिका का हिस्सा है।18वीं सदी में रूसी साम्राज्य ने यहां बसना शुरू किया और फर ट्रेड के लिए चौकियां बनाईं। 125 साल बाद 30 मार्च 1867 को रूस और अमेरिका के बीच समझौता हुआ जिसमें रूस ने अलास्का को 7.2 मिलियन डॉलर (करीब 45 करोड़ रुपए) में अमेरिका को बेच दिया।

 

रूसी विदेश मंत्री को अलास्का बेचने का ख्याल आया

अलास्का बेचने का विचार रूस के तत्कालीन विदेश मंत्री अलेक्जेंडर मिखाइलोविच गोर्काकोव के दिमाग में आया था। कहा जाता है कि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन ने गोर्काकोव को इसे बेचने के लिए राजी किया था।इसके बाद गोर्काकोव ने रूस के जार अलेक्जेंडर द्वितीय के सामने यह प्रस्ताव रखा, जो उन्होंने स्वीकार कर लिया। हालांकि रूस की जनता इस बिक्री के खिलाफ थी, लेकिन जार ने अलास्का को बेचने के दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दिए।

 

ब्रिटेन के कब्जा करने के डर से बेचा अलास्का

अलास्का बेचने के पीछे कई कारण थे। उस समय रूस को डर था कि अगर युद्ध हुआ तो ब्रिटेन की मदद से अमेरिका अलास्का पर कब्जा कर सकता है। उस समय रूस की आर्थिक स्थिति भी कमजोर थी और अलास्का उनके लिए इतना महत्वपूर्ण नहीं था। सबसे बड़ा कारण था रूस की सीमा की सुरक्षा, क्योंकि अलास्का इतना बड़ा इलाका था कि वहां बड़ी संख्या में सैनिक तैनात करना मुश्किल था।

अमेरिका में अलास्का खरीदने का मजाक बना

 

अमेरिका के विदेश मंत्री विलियम ह्यूंन सिवार्ड ने जब अलास्का को खरीदने की घोषणा की तो किसी को इस पर यकीन नहीं हुआ। लोग यह नहीं मान पा रहे थे कि इतनी बड़ी जमीन सिर्फ 72 लाख डॉलर में खरीदी जा सकती है।लोगों को यह भी लगा कि अलास्का बर्फीला और बेकार इलाका है, जिससे कोई फायदा नहीं होगा। इसलिए रूस ने यह जमीन बेच दी है।अमेरिका में इस सौदे का मजाक उड़ाया गया और इसे सिवार्ड्स फॉली यानी सिवार्ड्स की गलती कहा गया। कई लोगों ने इसके लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जॉनसन को भी जिम्मेदार माना और इसे ‘जॉनसन का पागलपन’ कहा।

अलास्का बेचने के बाद जार अलेक्जेंडर द्वितीय की मौत हुई

जार अलेक्जेंडर द्वितीय की मौत के पीछे भी अलास्का की बिक्री को वजह माना जाता है। उनका जन्म 7 सितंबर 1855 को रूस में हुआ था और वे 2 मार्च 1855 को जार बने थे। इतिहासकारों के अनुसार, 1867 के बाद से ही उन पर कई बार जानलेवा हमले हुए, लेकिन वे बच गए।अंत में 13 मार्च 1881 को सेंट पीटर्सबर्ग के विंटर पैलेस में एक हमलावर ने बम फेंककर उनकी हत्या कर दी। रूस ने कभी आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया कि उनकी हत्या अलास्का की बिक्री से जुड़ी राजनीतिक विवादों के कारण हुई थी।

रूस को अलास्का बेचने का आज भी पछतावा

रूस को आज भी इस सौदे पर पछतावा है। 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया था, तब रूस में गाने बजते थे, जिसमें कहा जाता था कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक दिन अमेरिका से अलास्का वापस ले लेंगे।आज अलास्का अपनी प्राकृतिक संपदा के कारण अमेरिका का एक बड़ा खजाना माना जाता है। यहां तेल के विशाल भंडार, सोना, हीरे जैसी खनिज संपदा मौजूद है, जिनकी वजह से इसे ‘अमेरिका का खजाना’ कहा जाता है।

आज अलास्का अपनी प्राकृतिक संपदा के कारण अमेरिका का एक बड़ा खजाना माना जाता है। यहां तेल के विशाल भंडार, सोना, हीरे जैसी खनिज संपदा मौजूद है, जिनकी वजह से इसे ‘अमेरिका का खजाना’ कहा जाता है।

अलास्का अमेरिका की सुरक्षा के लिए बेहद अहम-

अलास्का अमेरिका के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां भारी मात्रा में प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम संसाधन हैं, और कई तेल फैक्ट्रियां भी मौजूद हैं। अलास्का से अमेरिका को अपनी कुल पेट्रोल की खपत का लगभग 20 प्रतिशत पेट्रोल मिलता है।

 

1950 के दशक में यहां सोने और हीरे की खदानें भी खोजी गईं, जो अब बड़े पैमाने पर काम कर रही हैं। इसके अलावा मछली पकड़ने और पर्यटन से भी अलास्का को अच्छी कमाई होती है। हर साल लाखों पर्यटक यहां घूमने आते हैं।

 

अलास्का की भौगोलिक स्थिति भी अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। यह राज्य आर्कटिक क्षेत्र में आता है, जहां से अमेरिका को शीत युद्ध के दौरान और आज भी वैश्विक सुरक्षा के लिहाज से बड़ी मदद मिलती है।

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