नेपाल का राजनीतिक संकट: जेनरेशन ज़ेड के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन जानलेवा हिंसा में बदल गया..“जेन जेड क्रांति” नामक यह आंदोलन नेपाल की अस्थिर राजनीति से उपजा है
नेपाल दशकों के अपने सबसे बुरे राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और सोशल मीडिया पर अल्पकालिक प्रतिबंध के खिलाफ युवाओं द्वारा संचालित विरोध प्रदर्शन व्यापक आगजनी, नेताओं पर हमले और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे में बदल गए हैं।
जेनरेशन ज़ेड कार्यकर्ताओं के बीच ऑनलाइन आक्रोश के रूप में शुरू हुआ यह आंदोलन अब कम से कम 22 लोगों की जान ले चुका है, सैकड़ों घायल हो गए हैं और प्रमुख सरकारी इमारतों, राजनीतिक दलों के कार्यालयों और निजी आवासों को आग के हवाले कर दिया गया है। राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने अपने घर पर हुए हमलों के बावजूद इस्तीफा नहीं दिया है और संकट को कम करने के लिए अगले हफ्ते प्रदर्शनकारियों से बातचीत का आह्वान किया है। हिंसा कम होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है, एक नेपाली मीडिया कार्यालय में आग लगाने और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (जैसा कि शुरुआत में बताया गया था, “शेर सिंह देउबा” नहीं – संभवतः इस नेपाली कांग्रेस नेता का संदर्भ) और उनकी पत्नी पर शारीरिक हमला किए जाने की खबरें हैं।
प्रमुख घटनाक्रम समयरेखा (9 सितंबर, 2025 तक की रिपोर्टों पर आधारित)
सरकार द्वारा पंजीकरण की समय सीमा का हवाला देते हुए 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (फेसबुक, एक्स और यूट्यूब सहित) पर प्रतिबंध लगाने के बाद, सोमवार, 8 सितंबर को विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, लेकिन इसे व्यापक रूप से राजनेताओं के परिवारों और विलासितापूर्ण जीवनशैली को निशाना बनाने वाले भ्रष्टाचार-विरोधी मीम्स को दबाने के प्रयास के रूप में देखा गया। मंगलवार तड़के प्रतिबंध हटा लिया गया, लेकिन पुलिस के साथ झड़पों में 19 लोग मारे गए (ज्यादातर युवा प्रदर्शनकारियों को करीब से गोली मारी गई) और 300 से ज़्यादा घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू और अन्य शहरों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए, सत्ता के प्रतीकों को निशाना बनाया:
संस्थानों पर आगजनी हमले: भीड़ ने सिंह दरबार (प्रधानमंत्री कार्यालय और मंत्रालयों वाला केंद्रीय सरकारी परिसर), संसद भवन, सर्वोच्च न्यायालय और शीतल निवास (राष्ट्रपति निवास) पर धावा बोल दिया और आग लगा दी। नेपाली कांग्रेस कार्यालयों सहित राजनीतिक दल के मुख्यालयों में भी तोड़फोड़ की गई और उन्हें जला दिया गया। काठमांडू के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को आस-पास लगी आग के धुएँ के कारण अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया। रिपोर्टों से पुष्टि होती है कि इस अफरा-तफरी के बीच एक नेपाली मीडिया कार्यालय में आग लगा दी गई, जिससे प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी की दुखद मृत्यु: सबसे भयावह घटनाओं में से एक में, पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनल (सीपीएन-यूएमएल नेता) की पत्नी, राज्यलक्ष्मी चित्रकार (जिन्हें रिपोर्टों में रवि लक्ष्मी या रबी लक्ष्मी भी लिखा गया है) को काठमांडू के दल्लू इलाके में प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके घर में आग लगा दिए जाने पर ज़िंदा जला दिया गया। परिवार के सदस्यों का दावा है कि आग लगने से पहले उन्हें जबरन वापस अंदर ले जाया गया था; उन्हें कीर्तिपुर बर्न अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनकी मृत्यु हो गई। इसकी व्यापक निंदा हुई है और सभी राजनीतिक दलों ने न्याय की माँग की है।
शेर बहादुर देउबा पर हमला: सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो में पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (नेपाली कांग्रेस अध्यक्ष) और उनकी पत्नी, वर्तमान विदेश मंत्री आरज़ू राणा देउबा को काठमांडू स्थित उनके बुधनीलकांठा आवास में घुसकर प्रदर्शनकारियों द्वारा पीट-पीटकर लहूलुहान करते हुए दिखाया गया है। दंपति को नेपाली सेना ने बचाया, लेकिन दोनों घायल हो गए; भागते समय देउबा के सिर से खून बहता हुआ देखा गया। उनके निजी स्कूल में भी आग लगा दी गई। वित्त मंत्री बिष्णु प्रसाद पौडेल का भी इसी तरह सड़कों पर पीछा किया गया, लात-घूंसों से पीटा गया और उन पर हमला किया गया।
प्रधानमंत्री ओली का इस्तीफा: इन हमलों के कुछ घंटों बाद, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (73 वर्ष, जुलाई 2024 से अपने चौथे कार्यकाल में) ने संकट का “संवैधानिक समाधान” निकालने के लिए “नैतिक आधार पर” इस्तीफा दे दिया। उन्होंने हिंसा के लिए “घुसपैठियों” को दोषी ठहराया और जाँच, पीड़ितों को मुआवज़ा और घायलों के मुफ़्त इलाज का वादा किया। सोमवार को दो कैबिनेट मंत्री पहले ही इस्तीफा दे चुके थे। बालकोट, भक्तपुर में ओली के निजी घर में दिन में पहले आग लगा दी गई, और प्रदर्शनकारियों ने आग के चारों ओर जश्न मनाया। नेपाली सेना और सुरक्षा प्रमुखों ने संयम औरj बातचीत की संयुक्त अपील जारी की।
“जेन जेड क्रांति” नामक यह आंदोलन नेपाल की अस्थिर राजनीति से उपजा है—तीन नेता (ओली, पुष्प कमल दहल “प्रचंड” और देउबा) 2015 से सत्ता में बारी-बारी से आ रहे हैं, और अक्सर केवल 1-2 साल ही सत्ता में रहे हैं। प्रदर्शनकारी भ्रष्टाचार मुक्त सरकार, भाई-भतीजावाद (जैसे, राजनेताओं के बच्चों द्वारा ऑनलाइन धन का प्रदर्शन) के खिलाफ कार्रवाई, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, एक राष्ट्रीय एकता सरकार और अधिकारियों के लिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति आयु की मांग कर रहे हैं। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र ने शांति की अपील की, जबकि काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने ओली के इस्तीफे के बाद संयम बरतने का आग्रह किया।
लोग भ्रष्टाचार मुक्त सरकार, भाई-भतीजावाद (जैसे, राजनेताओं के बच्चों द्वारा ऑनलाइन धन का प्रदर्शन), अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, एक राष्ट्रीय एकता सरकार और अधिकारियों के लिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति आयु की माँग कर रहे हैं। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र ने शांति की अपील की, जबकि काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने ओली के इस्तीफ़े के बाद संयम बरतने का आग्रह किया।
भारत ने नेपाल में अपने नागरिकों (लाखों प्रवासी मज़दूरों) को घर के अंदर रहने और सड़कों पर जाने से बचने की सलाह जारी की है; सीमा सुरक्षा बढ़ा दी गई है। भारतीय मारवाड़ी व्यापारिक समुदाय, जो एक प्रमुख आर्थिक योगदानकर्ता है, ने संपत्तियों की लक्षित लूट की रिपोर्ट दी है। सेना के हेलीकॉप्टरों ने कुछ मंत्रियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया, और दूरसंचार तैयारियों से आगे और प्रतिबंध लगने की संभावना का संकेत मिलता है।
राष्ट्रपति पौडेल ने ओली का इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया है, लेकिन कहा है कि नई सरकार के गठन तक मंत्रिमंडल संवैधानिक प्रावधानों के तहत काम करता रहेगा। प्रदर्शनकारियों के अभी भी सड़कों पर होने और सुरक्षा बलों द्वारा तत्काल कोई हिंसा न होने के कारण, स्थिति अस्थिर बनी हुई है। यह संकट एक ऐसे राष्ट्र में युवाओं के गहरे मोहभंग को उजागर करता है जो अभी भी 2008 में राजशाही के उन्मूलन और चल रहे आर्थिक संकट से उबर रहा है। अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने चेतावनी दी है कि यदि वार्ता विफल होती है तो दीर्घकालिक अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है।